साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की,
इसके द्वारे पर सब कुछ मिला है मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी द्वार की,
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की।।
जग में दर दर भटकता था गुमनाम सा,
मुझको पहचान दी साँवरे सेठ ने,
दुःख का रहता था जो साया आठों पहर,
मुझको मुस्कान दी साँवरे सेठ ने,
जब मेरे साथ है वो खाटू नरेश,
क्यों तमन्ना करूँ किसी दिलदार की,
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की।।
जबसे राहों से कांटे चुने श्याम ने,
जबसे राहों से कांटे चुने श्याम ने,
मेरे जीवन का गुलशन महकने लगा,
मुश्किलें जीतनी थी सब दफा हो गई,
मेरा बिगड़ा मुकद्दर सँवरने लगा,
जबसे दीदार मुझको मिला श्याम का,
ना तमन्ना रही किसी दीदार की,
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की।।
है अनाड़ी के दिल की तमन्ना यही,
श्याम बाबा का द्वारा ना छूटे कभी,
रूठे “अविनाश” से सारी दुनिया मगर,
श्याम बाबा ना मुझसे रूठे कभी,
मुझपे रहमत है जब खाटू सरकार,
क्या तमन्ना रही किसी सरकार की,
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की।।
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की,
इसके द्वारे पर सब कुछ मिला है मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी द्वार की,
साँवरे सेठ का प्यार पाकर मुझे,
ना तमन्ना रही अब किसी प्यार की।।