
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणेश आये हैं
Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Mere Ganesh Aaye Hai
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आये है
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आये है
सजा दो घर को गुलशन सा घर में गणेश आये हैं
सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराजा आये है
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे सरकार आये है
पखारो इन के चरणों को बहा कर प्रेम की गंगा,
बिछा दो अपनी पलकों को मेरे सरकार आये है
सजा दो घर को गुलशन सा घर में गणेश आये हैं
सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में
आया दिल को सकूं उनके करीब आने में,
मुदत से प्यासी अखियो को मिला आज वो सागर
भटका था जिसको पाने की खातिर आज जमाने में
उमड़ आई मेरी आंखे देख कर अपने बाबा को
हुई रोशन मेरी गलियां मेरे सरकार आये है
सजा दो घर को गुलशन सा घर में गणेश आये हैं
तुम आ कार भी नही जाना
मेरी इस सुनी दुनिया से,
कहू हर दम यही सब से मेरे सरकार आये है,
सजा दो घर को गुलशन सा घर में गणेश आये हैं
Saja Do Ghar Ko Gulshan Sa Ghar Mere Ganesh Aaye Hai
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