शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज

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शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज

Shipra Kianre Baithe Hue Hai More Ujjain Ke Maharaj Lyrics

भस्म से श्रृंगार सजा है, ऐसा अलौकिक रूप है,
चंद्र विराजे माथे मुकुट सा ऐसा उनका स्वरुप है,
शिप्रा किनारे बैठे हैं, शम्भू…
शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज
उज्जैन के महाराज मोरे उज्जैन के महाराज,
शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज॥

तेरी नगरीया आते हैं योगी, आते अघोरी, आते हैं योगी,
मेला ये भक्तों का तेरे ही रंग में तेरे दीवाने तेरे ही रंग में,
रंग की धूम मचाए रे, भस्म रमाए बैठे हुए हैं मोरे देवों के सरताज,
शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज॥

भगत हूँ भोले तेरा पुराना, नाम से तेरे ये जाने जमाना,
जितना भी दे दे तू, ज़्यादा न कम है, तुझसे शुरू सब तुझपे खत्म है।
उज्जैन पलटाए बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज,
भस्म रमाए बैठे हुए हैं मोरे देवों के सरताज,
शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज॥

तेरे नगर की डगर पर मैं आता हूँ,
मदमस्त सी एक हवा में खो जाता हूँ,
भर आती हैं आँखें दर्शन तेरा पाकर,
साँसों में भी मेरी तुझको ही पाता हूँ॥

शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज
शिप्रा किनारे बैठे हुए हैं मोरे उज्जैन के महाराज॥

सिंगर – किशन भगत जी

Shipra Kianre Baithe Hue Hai More Ujjain Ke Maharaj

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