
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा
Shiva Shiva Shankara Re – Shiv Special Bhajan
मैं धुंध धुए के पार कही
मृडयन्त सी आशा हूँ
मैं ऐसी अनुपम भाषा हूँ
मैं ऐसी अनुपम भाषा हूँ
ॐ नमः शिवाये ॥
जब सृष्टि नहीं तब कौन यहाँ
तब किसने ये संसार रचा
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा ॥
जब सृष्टि नहीं तब कौन यहाँ
तब किसने ये संसार रचा
जब अंतरिक्ष में खुल कर
सारी दृष्टि छिपी तब कौन दिखा
जो सबसे पहले आया है
जो अमित सदा रह जायेगा
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा ॥
जो अविरत बहता आज यहाँ
कल और कही बह जाएगा
मैं उसे सामने पाता हूँ
वो रूप धरे भी आता है
मैं जब भी प्रश्नो से घिरता
वो धीमे से मुस्कुराता
मैं उसे सोच भर सकता हूँ
वो तब विचार बन जाता है
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा ॥
वो दो छोरो का अंत कही
वो सब को यहाँ मिलाता है
वो सत साधना में डूबा
और सुन्दरतम कहलाता है ॥
जो जैसा है स्वीकार किया
हर परीतत्व को अपनाया
जो ध्यान धैर्य पर्याय बना
जो संयम धारी मन काया
जो सब्दो में ढल जाता है
कब मौन बन उतर आता है
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा ॥
मैं कर्मो की गति और मैं फल हूँ
मैं फिर भी हूँ निष्काम यहाँ
मैं निराकार और निर्विकल्प
मैं पर ब्रह्मा नाम यहाँ ॥
मैं सब अधरों की मृदुल हंसी
मैं हर धड़कन का गीत यहाँ
तुम मानो तो मैं श्रद्धा हूँ
ना मानो फिर भी मीत यहाँ ॥
इस जीवन के भी बाद
तुम्हे मैं और कही ले जाऊंगा
मैं मृत्यु नहीं स्वयं पथिक
साथ साथ बढ़ जाऊंगा
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा
शिवा शिवा शंकर रे शिवा शिवा
ॐ नमः शिवाये ॥
सिंगर – सोनू निगम जी
Shiva Shiva Shankara Re Shiva Shiva – Shiv Bhajan
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