
मंदिर में जब मा पहुंची
बाबा ने ढूढं लागि
सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो
ओ भक्तो सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो।।
आंख्या में आंसू थे म्हारे थी एक दम लाचार
काम काज ना कोई म्हारो
जीवन में अन्धकार
दुखड़ा म्हणे सुनाया
हाल दिल उन्हें बताया
सिंहासन छोड्यो आयो सांवरो
ओ भक्तो सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो।।
मंदिर में जब मैं पहुंची
बाबा ने ढूढं लागि
सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो
ओ भक्तो सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो।।
गले लगाकर धीर बँधायो कियो बड़ो सत्कार
चिंता ना कर तू म्हारी बेटी सागे है सरकार
जब जब भी याद करेगी
मेरो तू ध्यान धरेगी
लीले चरयासी तेरो सांवरो।।
मंदिर में जब मैं पहुंची
बाबा ने ढूढं लागि
सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो
ओ भक्तो सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो।।
साँची साँची बोलू भक्तो देव बड़ो दातार
हार के भी जो इन्हे पुकारे करदेवे बेड़ो पार
मोहित ने थारो सहारा सचो है इको द्वारा
दूजो ना जग में कोई आसरो।।
मंदिर में जब मैं पहुंची
बाबा ने ढूढं लागि
सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो
ओ भक्तो सिंहासन बैठ्यो देख्यो सांवरो।।