सीता माता की गोदी में हनुमत डाली मूंदड़ी

लाल लंगोटा हथ बनिया, मुख में नागर पान,
लंका में वानर चले, श्री अंजनी सूत हनुमान।।

सीता माता की गोदी में, हनुमत डाली मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी।।

सुनकर जामवंत कि बात, हनुमंत मारी एक छलांग,
हिरदै ध्यान राम को राख, समुन्द्र कूद पड़े हनुमान,
शीश पर राखी मुन्दडी, शीश पर राखी मुन्दडी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

लंका फिर फिर के सब जोई , निगाह नहीं सिता की होई,
वहां पर बतलावे नाही कोई, वहां पर बतलावे नाही कोई
बजरंग जाए खड़े पनघट पे, बातें कर रही सुन्दरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

बाता सुन सुन पतों लगायो, बजरंग दौड़ बाग़ में आयो,
दर्शन सिता जी को पायो सिता झुरे विरह के माहि ,
कपि छिटकाई मूंदड़ी, बजरंग डाली मुंदरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

सीता देखत ही पहचानी, या है रघुवर की सेनाणी,
या पर कोण जाना वर कौन जानवर आणि,
वन में बहुत कल्पना करके, कंठ लगाई मुंदरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

तब बोले हनुमत वाणी, माता तू क्यों चिंता आणि,
मुझको भेज्यो श्री रघुवर, जाय कर दे दो मुंदरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

मैं तोही जानत नाही वीर, मेरे लगी कालजे तीर,
मन में किस विध आवे धीर, मन में किस विध आवे धीर
या तो नहीं राक्षसी माया, छलकर लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।


या तो नहीं राक्षसी माया, छलकर लायो मुंदरी,
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी,
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

मैं हूँ रामचन्द्र को पायक, मेरे राम है सदा सहायक,
उनको नाम अति सुखदायक, उनको नाम अति सुखदायक
मत कर सोच फिकर तू माता, या नहीं छल की मुंदरी
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

सुनके देख सिया मुस्कानी,मुख से बोली ऐसी वाणी
तेरी छोटी सी जिंदगानी, किस विध कूद गयो सागर
किस विध कूद गयो सागर,यहाँ पर लायो मुंदरी
सीता माता की गोदी में,कपि छिटकाई मूंदड़ी
सीता माता की गोदी मे,हनुमत डाली मूंदड़ी।।

माता छोटो सो मत जाण,मैं हूँ बहुत अधिक बलवान
बल मोहि दीन्हो श्री भगवान बल मोहि दीन्हो श्री भगवान
रघुपति किरपा मोपे किन्ही,तब मैं लायो मुंदरी।
सीता माता की गोदी मे,हनुमत डाली मूंदड़ी।।

सिता सुनकर ऐसी बात,अपने मन में धीरज लाय
इसको भेज्यो श्री रघुनाथ इसको भेज्यो श्री रघुनाथ
सिता बैठी बाग़ के माय,पल पल निरखे मुंदरी।
सीता माता की गोदी मे,हनुमत डाली मूंदड़ी।।

लंका फिर फिर के जलाई,एक विभीषण को घर नाही
बाकी सब घर आग लगाई बाकी सब घर आग लगाई
जग को काज कियो हनुमान,पूंछ बुझावे मुंदरी
सीता माता की गोदी मे,हनुमत डाली मूंदड़ी।।

हनुमत गए रघुवर के पास,उनको खबर दई है खास
मेट्यो सिता को सब त्रास मेट्यो सिता को सब त्रास
तो सम नहीं कोई बलवान,सराहे रघुवर मुंदरी
सीता माता की गोदी में,कपि छिटकाई मूंदड़ी
सीता माता की गोदी मे,हनुमत डाली मूंदड़ी।।

जो कोई ध्यान राम को लावे, मुख से गुण रघुवर को गावे
उनका जन्म मरण छुट जावे उनका जन्म मरण छुट जावे
रघुवर पाप देय सब खोय, जो कोई गावे मूंदड़ी।
सीता माता की गोदी में, कपि छिटकाई मूंदड़ी
सीता माता की गोदी मे, हनुमत डाली मूंदड़ी।।

sunita swami bhajan lyrics

सिंगर – सुनीता स्वामी जी।

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