
लक्ष्मण सा भाई हो कौशल्या माई हो,
स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो।।
नगरी हो अयोय्ध्या सी रघु कुल सा यारना हो,
चरण हो राघव के यहाँ मेरा ठिकाना हो।।
हो त्याग भरत जैसा सीता सी नारी हो,
लव कुछ के जैसी सन्तान हमारी हो।।
श्रधा हो श्रवन जैसी शबरी सी भक्ति हो,
हनुमत के जैसे निष्ठा और शक्ति हो।।
मेरी जीवन नैया हो प्रभु राम खावियाँ हो,
राम किरपा की सदा मेरे सिर पे छईया हो।।
सरयु का किनारा हो निर्मल जल धारा हो,
दर्श मुझे भगवन जिस घडी तुम्हारा हो।।