अलबेलो श्रृंगार करके श्याम दमके

खुली हवा में महक श्याम की भक्तों को है लाइकीर्तन की है रात सभी के कष्ट मिटाने आईसारे जग में होते चर्चे श्याम तेरी महफ़िल केदरबार सजा के श्याम की हमने भी है ज्योत जलाई।। अलबेलो श्रृंगार करके श्याम दमकेसबको पालनहार बैठ्यो बन ठन के।। महके रे श्रृंगार तन पे फूल बन केसावँरे को पाकर … Read more