बाबा जेब मेरी है खाली मैं कैसे दर तेरे आऊं

बाबा जेब मेरी है खाली मैं कैसे दर तेरे आऊं,पढ़ा-लिखा मैं हुआ निकम्मा भाग ना मेरे साथ,इतनी बाबा ढूंढी नौकरी कहीं ना बनती बात,दर-दर की मैंने ठोकर खाई क्या-क्या गिनबाऊं,बाबा जेब मेरी है खाली मैं कैसे दर तेरे आऊं।। छोटा-मोटा काम मिले में लगा रहूं दिन-रात,मिले अठन्नी खर्चा रुपैया बहुत बुरे हालात,घरवालों की दुखी आत्मा … Read more