दीनो के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है
क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं हैदीनो के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है या तो दयालु मेरी दृढ़ दीनता नहीं हैया दीन कि तुम्हें ही दरकार अब नहीं है जिससे कि सुदामा त्रयलोक पा गया थाक्या उस उदारता में कुछ सार अब नहीं है क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं हैदीनों के … Read more