विनती यही मा दुर्गे जब प्राण तन से निकले
विनती यही मा दुर्गेजब प्राण तन से निकलेलब हो नाम तेराजब प्राण तन से निकले।। हो चुनरी लाल सर पेमुस्कान हो आधार पे।। मा अंबे मेरे घर होजब प्राण तन से निकले विनती यही मा दुरगेजब प्राण तन से निकले।। मान मोहनी छवि होतेरी भक्ति मन बसी हो।। कोई चाह और नही होजब प्राण तन … Read more