इक ओंकार सतनाम

इक ओंकार सतनाम करता पुरख निरभऊ निर्वैर अकाल मूरत अजूनी सभम गुरु परसाद जप आदि सच जुगादि सच है भी सच नानक होसे भी सच सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार ॥चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार ॥ उखिया पुख न उतरी जे बनना पूरिया पार सहास्यांपा लाख वह है … Read more