तेरी सांस पे सांस लूटी पगले फिर क्यों नहीं राम भजे

तेरी सांस पे सांस लूटी पगले फिर क्यों नहीं राम भजे ,जीवन की शाम हुई पगले फिर क्यों नहीं राम भजे।। तू ढूंढे सुख सारे जगत में जहा मिले दुःख भारी,क्यों खोये जीवन की मोती क्या तेरी लाचारी,तेरी झूठी आस गई पगले फिर क्यों नहीं राम भजे,तेरी सांस पे सांस लूटी पगले फिर क्यों नहीं … Read more