झूला राधे को कान्हा झुलाये

डोर कदम की डार बंधवा के,झूला राधे को कान्हा झुलाये।। नाचे मन मयूरा गाये पपीहारा,घटा कारी घिर घिर आये,झूला राधे को कान्हा झुलाये।। आया बैरी सावन हुआ बावरा मन,नन्ही बूंदे गहन बरसाए,झूला राधे को कान्हा झुलाये।। झूमे धरती गगन होके आज मगन,धुन मुरली की जादू जगाये,झूला राधे को कान्हा झुलाये।। ब्रज हर्षाये रे सखियाँ मुस्काये … Read more