हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी भोले शंकर भस्म रमाए भक्त सहाई हे कैलाश के वासी

हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी भोले शंकर,भस्म रमाए भक्त सहाई हे कैलाश के वासी,दिखा दो छवि अविनाशी है तेरे भक्त अभिलाषी,अंखिया दर्शन की प्यासी हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी।। नित्य प्रति जो भोले बाबा को ध्याते,मंदिर में उनका ध्यान लगाते,पुष्प चढ़ाते भजन है गाते तेरे शंकर,पुष्प चढ़ाते भजन है गाते तेरे शंकर,सुन लो पुकार कर उद्धार हे … Read more