भारत की जैसी माटी है कही भी नहीं

मन कहे रूक जा रे रूक जा, यह हसीन है जमीं,भारत की जैसी माटी, है कही भी नहीं,भारत की जैसी माटी, है कही भी नहीं।। अरे मन कहे झुक जा रे झुक जा, यह हसीन है जमीं,भारत की जैसी माटी, है कही भी नहीं।। यहाँ हिमालय जैसा पर्वत, शंकर का कैलाश,बहे जहाँ गंग की धारा,मथुरा … Read more

युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी है

युगों युगों से यही हमारी, बनी हुई परिपाटी है,खून दिया है मगर नहीं दी, कभी देश की माटी है युगों युगों से यही हमारी.. इस धरती ने जन्म दिया है, यही पुनिता माताहै एक प्राण दो देह सरीखा, इससे अपना नाता है यह पावन माटी ललाट की ललित ललाम लालटी हैखून दिया है मगर नहीं … Read more