जगत में एक अविनाशी वही जोगी है सन्यासी
ना जिनका कोई रंग है ना है कोई रूप,आदिनाथ महादेव है निर्गुण ज्योतिस्वरूपना इनका कोई आरंभ है ना है इनका अंतभोले की त्रिलोकमे महिमा बड़ी अनंतसदा समाधि में रहे भसमीधारी अंगअद्भुत जो कहलाते है लिपटे कंठ भुजंग।। जगत में एक अविनाशी, वही जोगी है सन्यासी,वही जोगी है सन्यासी,वही निर्गुण वो गुणधारी, वही निर्गुण वो गुणधारी,वही … Read more