तेरे दर ना आ पाए कैसी लाचारी है
तेरे दर ना आ पाए कैसी लाचारी है,इस जग में फैली है कैसी महामारी है।। क्यों देख रहा है तू बचो को बिलखते हुए,उम्मीद भरी नजरे कहती है झलकते हुए,लहरा दे मोर छड़ी जो संकट हारी है,तेरे दर ना आ पाए कैसी लाचारी है।। कैसे तुझे भाता है तेरा सुना आँगन ,क्यों तुझको नहीं खलता … Read more