मोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियां

मोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियांमोहे कान्हा की याद सतावे झराझर रोए रही मेरी अखियां।। चिट्ठियां लिखी नहीं जाती कागज बिनामैंने दिल को कागज बनाया झराझर रोम रही मेरी अखियां।। चिट्ठियां लिखी नहीं जाती स्याही बिनाअसुयन की स्याही बनाई झराझरा रोए रही मेरी अखियां चिट्ठियां लिखी नहीं जाती कलम बिनामैंने उंगली … Read more