मैं तो एक ज़रिया हू कर्ता धर्ता है श्री रामजी
मुझे नही मालूम हुआ कैसे सारा काम जीमैं तो एक ज़रिया हू कर्ता धर्ता है श्री रामजी।। बिना पंख और बिना यान मैं कैसे सागर पार गयाकैसे बच गया सुरसा से कैसे निश्चर को मार गया।। प्रभु इच्छा से दुष्ट लांकिनी पहुच गयी याँ धाम जीमैं तो एक ज़रिया हू कर्ता धर्ता है श्री रामजी।। … Read more