माँ पतित पावनी है, माँ जगत तारणी हैं,
श्री नर्मदाय नमो प्रातः नर्मदाय नमो निषेनमस्ते नर्मदे देवी त्राहिमाम भव सागरः।। माँ पतित पावनी है, माँ जगत तारणी हैं,माँ ही रेवा, माँ ही गंगा, तमस हारिणी है।। अमरकंटक से धारा, निकली हैं रेवाशिवशंकर की प्यारी, पुतरी हैं रेवापूरब से पश्चिम बहती, कुवांरी हैं रेवाये ही सबकी माँ नर्मदा, अमृत वाहीणी हैं।। चर और अचर … Read more