गंगे माँ हर हर गंगे माँ

गंगे माँ हर हर गंगे माँगंगे माँ हर हर गंगे माँआई कल कल गंगे माँशीतल निर्मल गंगे माँशिव की जटा से आई जब धाराहुआ तब दुस्सेहारा गंगा दशाहैराकर ने दर्शन को गंगा धाम जो गयातन मन पावन कर देती माँ गंगा की धारा।। हरी की पौडी प्राणी जा के जल में डुबकी लगाएपुण्य सा लीला … Read more