मा लाज बचाती हो तुम

तेरे दरबार की चर्चा सुनी है हमने कानो सेपुराणो में वेदो में सब सार मिलता हैमैं जानू तू जगत जननी जगत के बोझ हारती होबचाती हो लाज सबकी जो भी दरबार आता है।। ना कोई तक ना बेगुनही का सबब पूछेजो दिल से आ गया चारणो में उसकी लाज रखती हो।। हे जगदंबा तुम तो … Read more