मैं तुझ से क्या मांगूं
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मैं तुझ से क्या मांगूंआप का बंधन तोड़ चुकी हूं,तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं नाथ मेरे मै क्यूं कुछ सोचूं तू जाने तेरा काम।। हे रोम रोम मे बसने वाले राम,जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मैं तुझ से क्या मांगूंतेरे चरण की … Read more