सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आये है
सजा दो घर को गुलशन सा,मेरे सरकार आये है,लगे कुटियाँ भी दुल्हन सी,मेरे सरकार आये है।। पखारो इनके चरणों को बहा कर प्रेम की गंगा,बिषा दो अपनी पलको को मेरे सरकार आये है।। सरकार आ गए है मेरे गरीब खाने में,आया दिल को सकून उनके करीब आने में,मुदत से प्यासी आखियो को मिला आज वो … Read more