मेरी भी अरज सुनलो बनवारी
मेरी भी अरज सुनलो बनवारीदर तेरे आई एक दुखियारीमेरी भी अरज सुनलो बनवारी।। आस लगाए तेरे दर पे हूँ आईमेरी सुध लेने आओ कृष्ण कन्हाईदेर क्यों लगाईं प्रभु तुम मेरी बारीमेरी भी अरज सुनलो बनवारी।। तुमने ना प्रभु कुछ अंतर कीनाजिसने जो माँगा तुमने वही दे दीनातुम हो जगत के पालनहारीमेरी भी अरज सुनलो बनवारी।। … Read more