मुझे कोई फ़िक्र नहीं अब है शेरोवाली साथ मेरे

मुझे कोई फ़िक्र नहीं अब है शेरोवाली साथ मेरेकोई समझे या न समझे वो देखती है हालत मेरे दुनिया की ठोकरों में था तो मैंने माँ को पुकाराथमा था हाथ मेरा माँ और मुझको था पुचकारामेरा हौसला माँ ने बढ़ायाचली उंगली पकड़ के साथ मेरेमुझे कोई फ़िक्र नहीं अब है शेरोवाली साथ मेरे राते थी … Read more