दास रघुनाथ का नंद सुत का सखा
दास रघुनाथ का, नंद सुत का सखा,कुछ इधर भी रहा, कुछ उधर भी रहा,सुख मिला श्री अवध,और बृजवास का,कुछ इधर भी रहा, कुछ ऊधर भी रहा,दास रघुनाथ का, नंद सुत का सखा।। मैथली ने कभी मोद, मोदक दिया,राधिका ने कभी,गोद में ले लिया,मातृ सत्कार में, मग्न होकर सदा,कुछ इधर भी रहा,कुछ ऊधर भी रहा,दास रघुनाथ … Read more