दास रघुनाथ का नंद सुत का सखा

दास रघुनाथ का, नंद सुत का सखा,कुछ इधर भी रहा, कुछ उधर भी रहा,सुख मिला श्री अवध,और बृजवास का,कुछ इधर भी रहा, कुछ ऊधर भी रहा,दास रघुनाथ का, नंद सुत का सखा।। मैथली ने कभी मोद, मोदक दिया,राधिका ने कभी,गोद में ले लिया,मातृ सत्कार में, मग्न होकर सदा,कुछ इधर भी रहा,कुछ ऊधर भी रहा,दास रघुनाथ … Read more

हस के सुलझ जाती है सब उलझन कभी कभी

हस के सुलझ जाती हैसब उलझन कभी कभी गायक – प्रेम भूषण महाराज हस के सुलझ जाती हैसारी उलझन कभी कभी हंस हंस के सुलझ जाति हैसब उलझन कभी कभी मिलता है बड़ा भाग्यसे नर तन कभी कभी जब तक है जिंदगीसभी को तू हंसा के जी हंस हंस के सुलझा जाती हैसारी उलझन कभी … Read more