रही बक्श्दा तू किते होए कसूर दातिया
रही बक्श्दा तू किते होए कसूर दातिया,सहनु चरना तो करी न तू दूर दातिया, असि कपडे नु चढ़े कच्चे रंग वरगे,असि कच दी बनाई होइ वांग वरगे,इको झटके च हो जा गे चूर दातिया,सहनु चरना तो करी न तू दूर दातिया, इस तन विच जिहने कोने सास वसदे,हर सास विच लखा ही गुनाह वसदे,मनो दूर … Read more