मंगल भवन अमंगल हारी

मंगल भवन अमंगल हारी लिरिक्स मंगल भवन अमंगल हारीद्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी।। होइहि सोइ जो राम रचि राखा।को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ हो, धीरज धरम मित्र अरु नारीआपद काल परखिये चारी।। जेहिके जेहि पर सत्य सनेहूसो तेहि मिलय न कछु सन्देहू।। हो, जाकी रही भावना जैसीप्रभु मूरति देखी तिन तैसी।। रघुकुल रीत सदा चली आईप्राण … Read more

जिसको हम परमात्मा कहते ये सब खेल उसी का है

इस संसार की गतिविधियों पर नही अधिकार किसी का हैजिसको हम परमात्मा कहते ये सब खेल उसी का हैराम सिया राम राम सिया राम राम सिया राम।। छणभर को भी नहीं छोड़ता सदा हमारे साथ में हैंकाया की स्वासा डोरी का तार उसी के हाथ में हैहंसना-रोना जीना मरना सब उसकी मर्जी का हैजिसको हम … Read more