शरण में आई हूँ सब कुछ हार के
थक सी गई हूँ मैं जग को पुकार के,शरण में आई हूँ सब कुछ हार के।। आँखों में नींद नहीं दिल भी उदास है,बिखरे है सपने टूटी हर इक आस है,भाव है गेहरे पावत अपनों के प्यार के,शरण में आई हूँ सब कुछ हार के।। जीवन की बाजी अब तो आप के ही हाथ है,हारे … Read more