शिव शंकर तुम कैलाशपति

शिव शंकर तुम कैलाशपति,है शीश पे गंग विराज रही,शिव शंकर तुम कैलाश-पति,है शीश पे गंग विराज रही।। माथे पर चंद्र का मुकुट सजा,और गल सर्पो की माला है,माँ पारवती भगवती गौरा,तेरे वाम अंग में साज रही,शिव शंकर तुम कैलाश-पति,है शीश पे गंग विराज रही।। ब्रम्हा को वेद दिए तुमने,रावण को लंका दे डाली,औघड़दानी शिव भोले … Read more