लंबी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समझाया है

सिंधुर लगा के सिर पे सिया जी को पाया हैअंजनी के लाला को कुछ समझ में ना आया हैबोले ना सिंधुर तूने क्यों सिर पे लगाया हैलंबी उमर होती सुहाग की सिया जी ने समझाया है।। सिंधुर को तन पे डाले अंजनी के लाल रेसिर से पाओ तक बजरंगी हो गए लाल लाल रेरोम रोम … Read more