मझधार में कश्ती है और राह अनजानी है

मझधार में कश्ती है और राह अनजानी है,सुन बांके मुरली वाले मेरी नाव पुरानी है,मझधार मे कश्ती है और राह अनजानी है।। तेरी बांकी अदा चितवन मेरे मन में समाई है,रग रग में सांवरिया मदहोशी छाई है,वृंदावन वास मिले चाहत ये पुरानी है,सुन बांके मुरली वाले मेरी नाव पुरानी है,मझधार मे कश्ती है और राह … Read more