दर दर की माँ खा के ठोकर तेरे दर पर आई हूँ
दर दर की माँ खा के ठोकर तेरे दर पर आई हूँरहमत कर माँ चरणों में रख ले जग की मैं ठुकराई हूँ ।। कौन है अपना जग में मईया किसको मैं अपना कहूंकोई नहीं अब मेरी सुनता किसको दिल का दर्द कहूंबेदर्दी इस जग से मईया हार तेरे दर आई हूँदर दर की माँ … Read more