जिस काबिल मैं नहीं था बाबा मुझको वो दरबार मिला
जिस काबिल मैं नहीं था बाबा मुझको वो दरबार मिलाछोटा पड़ गया दामन मेरा तुमसे इतना प्यार मिला।। तुम्हे जानने से पहले हम दर दर ठोकर खाते थेगैरों की क्या बोले हमसे अपने आँख चुराते थेमैं हूँ नसीबों वाला बाबा तुमसे मिला हमदर्द मुझेचोट गर लग जाए मुझको तो होता है दर्द तुझेऐसा लगा मिल … Read more