
तन से मन से अपने भजन से
तुमको मैं यूं ही रिझाता रहूँ
ख़ुशी मिले या गम
इतना ही चाहे हम
खाटू में यूं ही आता रहूँ
खाटू मैं यू ही आता रहूं।।
तुमने जो लायक समझा
हमपे ये कृपा करि है
चरणों की सेवा देकर
खुशियों से झोली भरी है
नौकरी है तुम्हारी
जग में सबसे खरी है।।
तन से मन से अपने भजन से
तुमको मैं यूं ही रिझाता रहूँ
ख़ुशी मिले या गम
इतना ही चाहे हम
खाटू में यूं ही आता रहूँ
खाटू मैं यू ही आता रहूं।।
नियम नहीं ये टूटे द्वार तेरा नहीं छूटे
रूठे चाहे जमाना मुझसे तू रूठे
आंसू का झरना भी तेरे आगे फूटे।।
तन से मन से अपने भजन से
तुमको मैं यूं ही रिझाता रहूँ
ख़ुशी मिले या गम
इतना ही चाहे हम
खाटू में यूं ही आता रहूँ
खाटू मैं यू ही आता रहूं।।
जग के भौतिक सुखो में तेरी तरफ ये कदम हो
जग के भौतिक सुखो में तेरी तरफ ये कदम हो
तुम में शुरू हो जीवन तुम पे अब ये ख़तम हो
मोहित के मन में कन्हैया कोई भी न भरम हो।।
तन से मन से अपने भजन से
तुमको मैं यूं ही रिझाता रहूँ
ख़ुशी मिले या गम
इतना ही चाहे हम
खाटू में यूं ही आता रहूँ
खाटू मैं यू ही आता रहूं।।