
हे शिव शंकर कैलाशी ओमकारा तू अविनाशी,
तू कण कन का है वासी तू है काशी का निवासी,
तेरा डम डम डम डम डम डम डमरू बाजे रे
तेरे डमरू की धुन पे आज जगत ये नाचे रे।।
है रूप तेरा अलबेला ओ भोले भंडारी,
हुई दुनिया दीवानी तेरी शिव भोले त्रिपुरारी,
तेरे शिवालय पे आते है सारे नर व नारी,
तेरे चरणों में झुकती है आकर ये दुनिया सारी,
तेरे डमरू की धुन पे आज जगत ये नाचे रे।।
तूने अपना प्यार है बांटा जिसने तुझको ध्याया,
वरदानी तेरी दया का वर सबने है पाया,
तेरी नज़र में सब है बराबर कोई छोटा ना ही बड़ा है,
इस लिए ही लोक ये तीनों तेरे चरणों में ही पड़ा है,
तेरे डमरू की धुन पे आज जगत ये नाचे रे।।
अंत तुम्हीं हो भोला तुम हो पहला नंबर,
तेरे जय जय कार से गूंजे ये धरती ये अम्बर,
लिखे महिमा तेरी कुंदन हे नन्दी के आस्वारी,
राधिका की भाग्य की रेखा भोले तूने ही संवारी,
तेरे डमरू की धुन पे आज जगत ये नाचे रे।।
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