
की मुझसे प्रीत कान्हा खोटी
कऊएं को खिलाई माखन रोटी
तेरी दीवानी जो ना होती
सारी उम्र वृह में ना रोती
सारी उम्र वृह में ना रोती।।
उद्धार मौर का कर दिया
सिर मौर मुकट धर लिया
की मुझसे प्रेम लीला झूठी
कऊएं को खिलाई माखन रोटी।।
जैसे बंसी अधर लगाती तू
ऐसी मुझसे प्रीत निभाती तू
तर जाती चरण जो लगाई होती
कऊएं को खिलाई माखन रोटी।।
राधा रानी को दुलराया
तूने मुझे कन्हईया ठुकराया
मुझे समझ के दास छोटी।
कऊएं को खिलाई माखन रोटी।।
की मुझसे प्रीत कान्हा खोटी
कऊएं को खिलाई माखन रोटी
तेरी दीवानी जो ना होती
सारी उम्र वृह में ना रोती।।