
आप ठुकराओगे तो प्यारे हम और कहाँ फिर जाएंगे,
छान कर ख़ाक ज़माने भर की फिर लौट यहीं पर आएँगे
नीच अधम कामी कुटिल अरे जैसो हूँ मैं तोए,
नीज चरणन में राखिए मोहे नटवर नन्द किशोर
नटवर नन्द किशोर मेरे प्राणो से प्यारे,
छोड़ जगत का मोह पड़ा मैं तेरे द्वारे।।
तेरी मतलब की दुनिया से मैं हिम्मत हार बैठा हूँ,
ज़माने को भुलाकर के तेरे दरबार बैठा हूँ,
तेरी मतलब की दुनियाँ से मैं हिम्मत हार बैठा हूँ।।
तू हारे का सहारा है बताया है दीवानों ने,
तू हारे का सहारा है बताया है दीवानों ने,
तभी से मन की वीणा के सजाए तार बैठा हूँ,
ज़माने को भुलाकर के तेरे दरबार बैठा हूँ,
तेरी मतलब की दुनियाँ से मैं हिम्मत हार बैठा हूँ।।
पतित मैं तुम पतित पावन कभी तो ख्याल आएगा,
पतित मैं तुम पतित पावन कभी तो ख्याल आएगा,
इसी उम्मीद पे प्यारे मैं डेरा डाल बैठा हूँ,
ज़माने को भुलाकर के तेरे दरबार बैठा हूँ,
तेरी मतलब की दुनियाँ से मैं हिम्मत हार बैठा हूँ।।
मुझे तारो या ना तारो ‘किशन’ का जोर ही है क्या,
मुझे तारो या ना तारो मेरा तो जोर ही है क्या,
लुटाकर लाज की पूंजी सरे बाजार बैठा हूँ,
ज़माने को भुलाकर के तेरे दरबार बैठा हूँ,
तेरी मतलब की दुनियाँ से मैं हिम्मत हार बैठा हूँ।।