
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर, तू ही जग का दाता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर, तू ही जग का दाता है,
भक्तों के घर जो कुछ भी दिखता, तेरे ही धाम से आता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर, तू ही जग का दाता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर, तू ही जग का दाता है।।
तुम हो स्वामी हम सेवक है मन से तुम्हारे उपासक है,
हम है सवाली तुम महादानी करुणा तुम्हारी है कल्याणी,
तू गंगाधर तू ही आदिश्वर तू ही भाग्य विधाता है,
भक्तों के घर जो कुछ भी दिखता तेरे धाम से आता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर तू ही जग का दाता है।।
हार पहनते हो नागो नागों के लीला ही अद्भुत करते हो,
तुम ही तो भस्म रमैया हो नैया के दिव्य खेवैया खिवैया हो,
तू योगेश्वर तू ही भूतेश्वर तीनो तीनों ही लोक चलाता है,
भक्तों के घर जो कुछ भी दिखता तेरे धाम से आता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर तू ही जग का दाता है।।
प्रजापति सिद्ध सन्यासी तुम ही हो कैलाश के वाशी,
दोनों के ही तुम पालक हो दोनों के ही तुम पालक हो,
सृष्टि के ही संचालक हो सृष्टि के ही संचालक हो,
तू सर्वेश्वर अर्धनारीश्वर तू ही बनाता मिटाता है,
भक्तों के घर जो कुछ भी दिखता तेरे धाम से आता है,
तू नागेश्वर तू ही महेश्वर तू ही जग का दाता है।।