
कभी है योगी कभी है भोगी
और कभी संसार है
अजर अमर अविनाशी है ये
शिव की महिमा न्यारी है।।
गंगा को जो धारा पे लाये
जन जन का कल्याण किया
जिन्की दया से सकल लोक Ne
गंगा अमृत पान किया।।
जटा से बहती गंगा धारा
जग जिनपर बलिहारी
अजर अमर अविनाशी है ये
शिव की महिमा न्यारी है।।
विष पीकर तुमने हे शंकर
सृष्टि को नव प्राण दिए
नील कंठ तब तुम कहले
करज बड़े महान किया।।
लाखो दानव संहारे थे
सारी पृथ्वी तारी है
अजर अमर अविनाशी है ये
शिव की महिमा न्यारी है।।
सावन के पवन मेले में
जोभी जल अर्पण करता
भोले नाथ मेरे उन भक्तो के
भंडारे पाल में भारते।।
सावन का उत्सव है सुंदरी
शिव भक्ति सुखकारी है
अजर अमर अविनाशी है ये
शिव की महिमा न्यारी है।।
Kabhi Hai Yogi Kabhi Hai Bhogi
Aur Kabhi Sansaari Hai
Ajar Amar Avinashi Hai Ye
Shiv Ki Mahima Nyari Hai
Ganga Ko Jo Dhara Pe Laye
Jan Jan Ka Kalyan Kiya
Jinki Daya Se Sakal Lok Ne
Ganga Amrat Paan Kiya
Jata Se Behti Ganga Dhara
Jag Jinpar Balihaari
Ajar Amar Avinashi Hai Ye
Shiv Ki Mahima Nyari Hai
Vish Peekar Tumne Hey Shankar
Shrishti Ko Nav PRaan Diye
Neel Kanth Tab Tum Kahlaye
Karaj Bade Mahan Kiye
Laakho Danav Sanhaare The
Saari Prithvi Taari Hai
Ajar Amar Avinashi Hai Ye
Shiv Ki Mahima Nyari Hai
Saavan Ke Pawan Mele Mein
Jobhi Jal Arpan Karte
Bhole Nath Mere Un Bhakto Ke
Bhandare Pal Mein Bharte
Saavan Ka Utsav Hai Sundar
Shiv Bhakti Sukhkari Hai
Ajar Amar Avinashi Hai Ye
Shiv Ki Mahima Nyari Hai