कहाँ छुप गया तू कहां तुझको ढूँढू ओ मेरे मन के मीत

कहाँ छुप गया तू कहां तुझको ढूँढू ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत,
मन वीणा की टूटी है तारें,
बिखरा मेरा संगीत ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत।।

क्या थी वो रातें जिन रातों में गीत तुम्हारे गाए थे,
सात सुरो की खुशबू से उन गीतों को महकाये थे,
ना जी सकूँगा ना मर सकूँगा,
मेरी रह गई अधूरी रीत,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत।।

चुन-चुन भावों की कलियों से तुझको कभी सजाया,
बिन बोले ही प्रीतम प्यारे कभी दिल का दर्द सुनाया,
घुटने लगा है दम प्राणों का ये स्वासे रह जाये बीत ,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत।।

ग़म देने वाले, दर्द ये दिल का मुश्क़िल हुआ अब सहना,
दिल की दिल में रह गई मेरे,
अब तुमसे नहीं कुछ कहना देखेगी दुनिया,
मोहब्बत तरुण की भारी आ गई जीत,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत।।

कहाँ छुप गया तू कहां तुझको ढूंढू,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत,
मन वीणा की टूटी है तारें,
बिखरा मेरा संगीत ओ मेरे मन के मीत,
ओ मेरे मन के मीत ओ मेरे मन के मीत।।

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