
तेरी आरती गाऊं में सजाकर थाली
विनती तू सुन ले जग दे वाली
तेरी महिमा है जग में बड़ी ही निराली
विनती तू सुन ले जग दे वाली।।
भगति तेरी का दीपक मन में जलाऊ
दर्शन तेरा रोज में पाऊं
दर्शन तेरा रोज में पाऊं।।
दर पर आए हम सब सवाली
विनती तू सुन ले जग दे वाली।।
तेरी आरती गाऊं में सजाकर थाली
विनती तू सुन ले जग दे वाली।।
बिगड़े का तू काम बनाए
हर भटके को राह दिखाएं।।
तन मन और जीवन करू अर्पण
तेरे दर से न जाए कोई ना खाली
विनती तू सुन ले जग दे वाली।।
तेरी महिमा है जग में बड़ी ही निराली
विनती तू सुन ले जग दे वाली।।