राम का नाम कलयुग में अनमोल है,
मुरख नर भूल जाए तो में क्या करूं।।
नर जवानी के मद में नहीं सोचता,
चार दिन में सभी रंग वो रंग डालता,
जानकर के तू गड्ढे में खुद गिर रहा,
फिर मुसीबत उठाये तो में क्या करूं,
राम का नाम कलयुग में अनमोल है।।
कुछ समय तु लगा के करे जो भजन,
छूट जाए सहज तेरा आवागमन,
लख चौरासी में तूं क्यों भटकता फिरे,
फिर यूं चक्कर लगाए तो में क्या करूं,
राम का नाम कलयुग में अनमोल है।।
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जपते चलो जपते चलो श्री राम जी की माला जपते चलो
लोग कहते है भगवान आते नही,
और आके वो दर्शन दिखाते नहीं,
राम के तू भजन बिन अकेला चला,
फिर समझ में न आए तो में क्या करूं,
राम का नाम कलयुग में अनमोल है।।
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