
आ ही गए रघुनंदन सजवादो द्वार-द्वार
Aa Hi Gaye Raghundan Sajvado Dwar Dwar
आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
सजी नगरिया है सारी, नाचें गावे नर-नारी,
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
लड़ियों से मढ़ियों से फुलझड़ियों से ,
सजा राम दरबार, शोभा अजब बनी…
कंचन कलश विचित्र सँवारे,
सब ही सजे धरे निज निज द्वारे,
कंचन कलश विचित्र सँवारे,
सब ही सजे धरे निज निज द्वारे,
वंदन वार पताका केतु
सभी बताये मंगल हेतु
वंदन वार पताका केतु
सभी बताये मंगल हेतु
निति सकल सुगंध सिद्धये
भेज मन चौक पुराये
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…
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