
अद्धभुत तेरो श्रृंगार रूप मन भायो जी,
श्याम मन भायो जी,
मन बवलियो हो गया,
जद मिला श्याम से नैन,
रूप मन भायो जी श्याम मन भायो जी।।
सांची सांची बोल री महने कुन सो काजल गारयो ,
नैन मटका हो गया थासु दास कलजो हारयो ,
सुझे न अब कुछ भी अच्छे दिखें निराला नैन,
रूप मन भायो जी, श्याम मन भायो जी।।
करुणा रास तपके नैना सु नैन बड़ा बालकरी,
ई नजरा की देख रे में बड़ी दुनिया सारी,
बिन दर्शन मन पांची म्हारो बडो ही तो बेचान,
रूप मन भायो जी, श्याम मन भायो जी।।
इतनो मत कर श्याम श्रृंगार
नारी कोई नज़र लगा देगी,
नज़र लगी देगी नारी कोई।।