अंजनी का रे लाल आछी रे सरजीवण बूटी लायो

राम चंद्र को दूत कहायो जग में नाम कमायो रे,
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

मात सिया को पतों लगाने तू लंका में आयो,
मात सिया को पतों लगाने तू लंका में आयो,
बजरंग तू लंका में आयो ,
वृक्ष उजाड़या बाग़ उजाड़या,
वृक्ष उजाड़या बाग़ उजाड़या रावण बहु घबरायो रे
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

शक्ति बाण लाग्यो लक्मण जी के तू ने बिडलो उठायो
बजरंग तू ने बिडलो उठायो
द्रोणागिरी पर्वत पर जाकर सरजीवण ले आयो रे
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

राम चंद्र को दूत कहायो जग में नाम कमायो रे,
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

राम लखन दोनों भाई ने अहिरावण हर लायो
बजरंग अहिरावण हर लायो
पाताल पूरी में जाकर हनुमत भारी युद्ध मचायो रे
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग चार जुगा जग गायो
बजरंग चार जुगा जग गायो,
चन्द्रसखी सतगुरु की शरणे ,
चुनीलाल कथ गायो रे,
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

राम चंद्र को दूत कहायो जग में नाम कमायो रे
अंजनी का रे लाल पवना का रे लाल ,
आछी रे सरजीवण बूटी लायो।।

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