
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति
मैं लाख ताका की बात कहूँ हो हो
सुन फरक ना मानो एक रति।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।
नरसी जी लेकर एक तारो
ठाकुर के आगे भजना करे
पर सेठ सांवरो रुक्मणि बाई संग
नानी बाई का भात भरे
जड़ सवा पहर लक्ष्मी बरसी
कंचन चमक उठी धरती।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।
सबरी नित जोड़े बाट नारी
मेरे घर आएंगे रघु राइ
ढूँढत पूछत रघुवर आया
दे चाख चाख अपना झूठा
खाये राम देख रहा लक्ष्मी जाती।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।
लेकर विष का प्यालो मीरा
श्री श्याम प्रभु का गन गावे
प्यालो में देखा नंदलाला वो
मीठो मीठो मुस्कावे
झट पीकर हो गयी मतवारी
पछतावे राणो मूढ़ मति।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।
कर्मा बरखा थोड़ी खीचड़ लो
ठाकुर के आगे धार लीन्हो
थोड़ी रो रो कर बोली तू खाया
वो खाये ये प्राण लेना
खा रह्यो बिहारी खीचड़ लो
दावलिया बोले जगत पति
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति
मैं लाख ताका की बात कहूँ हो हो
सुन फरक ना मानो एक रति।।
भजना से रीझे सांवरियो
सांवरिया रीझा हो सुमति।।