जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
चौदह बारस तो बहुत दूर भाई कैसे कटा था एक एक मास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
राम राम राम राम जय सिया राम
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
चौदह बारस तो बहुत दूर भाई
कैसे कटा था एक एक मास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
राम राम राम राम जय सिया राम
ख़ुशी ख़ुशी से यूं रघुवर ने यूं पिता की आज्ञा मानी
बड़ी ही करुणा मई है देखो राम की ये कहानी
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
कैसे कटा था एक एक मास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
राज महल के सब सुख तज के
राम यूं वन को सिधारे
जन जन के प्रिये राम चंद्र थे
सबकी आँखों के तारे
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
कैसे कटा था एक एक मास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
राम राम राम राम जय सिया राम
मंथरा के भड़काने पे कैकयी कुचक्र चलाया
रघुवर को वनवास भारत को अवध का राज दिलाया
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
चौदह बरस तो बहुत दूर भाई
कैसे कटा था एक एक मास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
राम राम राम राम जय सिया राम
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास
जब राम गए वनवास अवध के वासी हुए उदास